इस अनोखी पहल के तहत बच्चों को न सिर्फ रामायण की गाथाएं सुनाई जाएंगी, बल्कि उन्हें इससे जुड़ी कलात्मक गतिविधियों में भी भाग लेने का मौका मिलेगा।
योगी सरकार की यह योजना राज्य के सभी 75 जिलों में लागू की जा रही है। इन कार्यशालाओं का आयोजन अयोध्या स्थित अंतरराष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान द्वारा किया जाएगा, ताकि बालमन को भारतीय विरासत से रचनात्मक तरीके से जोड़ा जा सके।
संस्कृति और पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम ने बताया कि इन शिविरों की शुरुआत 15 मई से हो सकती है। खासकर स्कूलों की छुट्टियों को ध्यान में रखते हुए शिविरों का संचालन किया जाएगा, ताकि ज्यादा से ज्यादा बच्चे इसका लाभ ले सकें।
हर जिले में बच्चों के लिए होगा खास आयोजन
अंतरराष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान ने इस योजना के तहत बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र भेजा है। इस पत्र में ग्रीष्मकालीन शिविरों के आयोजन के लिए दिशा-निर्देश दिए गए हैं और बच्चों को इसमें शामिल कराने की अपील की गई है।
संस्थान के निदेशक संतोष कुमार शर्मा के मुताबिक, इस पहल का उद्देश्य बच्चों में रामायण, वेद और भारतीय सभ्यता के प्रति रुचि विकसित करना है। शिविरों में जो कार्यक्रम होंगे, वे बच्चों के लिए सीखने और आनंद लेने का बेहतर जरिया बनेंगे।
शिविर के दौरान बच्चों को कई रचनात्मक और कलात्मक गतिविधियों में भाग लेने का अवसर मिलेगा। इनमें रामलीला मंचन, श्रीरामचरित मानस का पाठ और गायन, रामायण चित्रकला, मुखौटा निर्माण, रामायण क्ले मॉडलिंग, 'रामायण फेस आर्ट' जैसी विधाएं शामिल हैं।
इसके अलावा वेदों का उच्चारण, वेद गायन और वैदिक सामान्य ज्ञान की कार्यशालाएं भी आयोजित की जाएंगी। यह पहल बच्चों को भारतीय संस्कृति से जोड़ने के साथ-साथ उनकी कलात्मक अभिव्यक्ति को भी निखारेगी।
बच्चों में संस्कृति के मूल्यों की समझ और रुझान बढ़ेगा
इन शिविरों की अवधि 5 से 10 दिन के बीच रखी गई है। इससे बच्चों को निरंतर अभ्यास और गतिविधियों में भाग लेने का पर्याप्त समय मिलेगा। इससे उन्हें न सिर्फ मनोरंजन मिलेगा, बल्कि वे भारतीय संस्कृति की गहराई को भी समझ पाएंगे। शिविरों का उद्देश्य केवल ज्ञान देना नहीं है, बल्कि बच्चों में सांस्कृतिक मूल्य, अनुशासन और कला के प्रति जागरूकता विकसित करना भी है।