New Tax Regime Or Old Tax Regime: सालाना इनकम है 15 लाख रुपये? जानिए कौन सी टैक्स व्यवस्था आपके लिए है बेहतर

Imran Khan
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New Tax Regime Or Old Tax Regime: सालाना इनकम है 15 लाख रुपये? जानिए कौन सी टैक्स व्यवस्था आपके लिए है बेहतर

New Tax Regime Or Old Tax Regime: मोदी सरकार ने 2020 के बजट में न्यू टैक्स रिजीम की घोषणा की थी। उसके बाद से ही टैक्सपेयर्स के बीच सबसे अधिक चर्चा वाला विषय यह रहा है कि नई या पुरानी, कौन सी टैक्स व्यवस्था बेहतर है।

हालांकि इसका जवाब काफी हद तक किसी व्यक्ति की इनकम पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए यदि कोई सालाना 7.5 लाख रुपये तक कमाता है, तो नई टैक्स व्यवस्था के तहत उनके लिए बेहतर स्थिति है, क्योंकि उन्हें कोई टैक्स नहीं देना होगा।


नई और पुरानी टैक्स व्यवस्था में क्या अंतर?

वहीं 15 लाख रुपये या 20 लाख रुपये वाले लोगों के लिए सही टैक्स व्यवस्था चुनना थोड़ा मुश्किल है। दोनों टैक्स व्यवस्थाओं के बीच मुख्य अंतर यह है कि पुरानी टैक्स व्यवस्था होम लोन सहित कुछ खर्चों और निवेशों पर विभिन्न कटौती और छूट की अनुमति देती है जबकि स्टैंडर्ड डिडक्शन कटौती को छोड़कर नई टैक्स व्यवस्था में टैक्सपेयर्स के लिए वे लाभ नहीं हैं।

  • धारा 87A के तहत छूट: 7.5 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं (7 लाख रुपये टैक्स आय + 50,000 रुपये स्टैंडर्ड डिडक्शन)
  • स्टैंडर्ड डिडक्शन: सैलरीड और पेंशनभोगियों के लिए 75,000 रुपये
  • पुरानी या नई टैक्स व्यवस्था: 15 लाख रुपये तक की वार्षिक आय वाले व्यक्तियों के लिए क्या अधिक फायदेमंद है?

नई और पुरानी टैक्स व्यवस्था में क्या है कटौती?

टैक्सपेयर्स स्टैंडर्ड डिडक्शन, धारा 80सी कटौती और सैलरीड इनकम पर कुछ छूट केवल पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत उपलब्ध हैं। हम मानते हैं कि स्टैंडर्ड डिडक्शन और धारा 80सी कटौती के अलावा, कर्मचारी के ग्रॉस सैलरी का 20% हाउस रेंट अलाउंस (HRA) और अन्य पात्र छूट जैसे भत्तों के तहत टैक्स से मुक्त है।

दूसरी ओर नई टैक्स व्यवस्था के तहत केवल दो डिडक्शन मिलता है जिसमे 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन और कर्मचारी के एनपीएस खाते में एम्प्लायर के योगदान पर कटौती।

15 लाख की कमाई पर कैसे करें बचत?

  • 15 लाख रुपये की टैक्सेबल इनकम वाले व्यक्ति के लिए दोनों व्यवस्थाओं के तहत टैक्स कैसे अलग होता है?
  • पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत टैक्स (सभी डिडक्शन और छूटों का उपयोग करने के बाद) 1,17,000 रुपये लगता है।
  • जबकि नई व्यवस्था के तहत टैक्स (75,000 रुपये स्टैंडर्ड डिडक्शन और एंप्लॉयर के एनपीएस योगदान कटौती का दावा करने के बाद) – 1,30,000 रुपये टैक्स लगता है।

इसका मतलब यह है कि यदि कोई टैक्सपेयर पुरानी व्यवस्था के तहत कटौती और छूट का पूरी तरह से उपयोग करता है, तो वह नई टैक्स व्यवस्था की तुलना में टैक्सेज में 13,000 रुपये बचा सकता है।

लेकिन यहां आपके लिए बेहतर है नई व्यवस्था?

  • यदि व्यक्ति के पास कोई निवेश नहीं है और पुरानी व्यवस्था के तहत केवल 50,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन का दावा करता है, तो उनकी टैक्स देनदारी 2,57,400 रुपये होगी।
  • इसकी तुलना में नई टैक्स व्यवस्था के तहत उनकी टैक्सेबल इनकम 1,30,000 रुपये रहती है, जिससे 1,27,400 रुपये की टैक्स बचत होती है।

इस प्रकार नई टैक्स व्यवस्था उन लोगों के लिए अधिक फायदेमंद है जो निवेश नहीं करते हैं, जबकि पुरानी व्यवस्था उन लोगों के लिए बेहतर है जो कई कटौती और छूट का दावा करते हैं।

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