अपार आईडी को सहमति देने में अभिभावक कर रहे आनाकानी, शिक्षक परेशान
रामपुर कारखाना/ देवरिया, हिन्दुस्तान टीम। अपार आईडी बनाने के लिए अभिभावक सहमति पत्र देने में आनाकानी कर रहे हैं। अपार आईडी के लिए अभिभावक की सहमति और आधार कार्ड जरूरी है। आधार कार्ड और सहमति पत्र नहीं मिलने से शिक्षक आईडी बनाने को परेशान हैं।
बोर्ड परीक्षा देने वाले छात्रों को प्रवेश पत्र रोकने की धमकी देने पर अभिभावक सहमत पत्र दे रहे हैं, लेकिन अन्य कक्षाओं में स्थित शून्य है। इसका खामियाजा स्कूल संचालकों को भुगतना पड़ रहा है।
भारत सरकार ने सभी विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की शैक्षिक प्रगति और उपलब्धि को ट्रैक ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री (अपार आईडी) बनाने का निर्देश दे रखा है। आईडी कार्ड बनाने के पीछे उद्देश्य यह है कि हर बच्चे का एक यूनिक आईडी हो, जिससे हर छात्र का रिकार्ड रखा जा सके। यह आधार कार्ड की तरह ही होगा। इस कार्ड पर संबंधित स्टूडेंट्स की यूनिक आईडी दर्ज होगी। यह कार्ड प्राइमरी से लेकर हायर एजुकेशन तक के छात्र-छात्राओं के लिए बनाया जाएगा। इसमें छात्र के सभी एकेडमिक रिकॉर्ड दर्ज होगा। सरकार ने इसके लिए अभिभावकों से सहमति लेना जरूरी किया हुआ है। सहमति पत्र और अभिभावक का आधार कार्ड लेना ही इस योजना में पेंच फंसा रहा है। माध्यमिक स्कूलों में 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा देने वाले छात्रों का प्रवेश पत्र रोकने की धमकी थोड़ी बहुत कारगर हो रही है। इन कक्षाओं के बच्चों के अभिभावकों का सहमति और आधार कार्ड पहुंचना शुरू हो गया है, लेकिन अन्य कक्षाओं में स्थित शून्य के बराबर है। जबकि विभाग ने शिक्षकों को अपार आईडी 30 जनवरी तक हर हाल में बनाने का निर्देश दे रखा है। अभिभावकों का आधार कार्ड नहीं मिलने की स्थिति में शिक्षक आईडी बनाने का काम किस प्रकार से पूरा करें, उनके समझ के परे है।
एक अक्षर का मिसमैच होने पर नहीं बन पा रहा अपार आईडी
अपार आईडी बनाने के लिए बच्चों के साथ अभिभावक का आधार कार्ड जरूरी है। स्कूल के रिकॉर्ड और आधार कार्ड में एक अक्षर का भी मिसमैच होने पर आईडी जेनरेट नहीं हो रही है।शिक्षकों ने बताया कि बच्चों की अपार आईडी के लिए आधार आईडी ही बाधा बन रही है। आधार में थोड़ी सी गलती अपार में बाधक है। आधार आईडी में पूर्व में हुई गलतियों का खामियाजा प्रधानाध्यापकों व शिक्षकों को भुगतना पड़ रहा है। आधार कार्ड में किसी भी प्रकार के सुधार करने पर वो करीब 2 महीने का समय लेता है। आधार और स्कूली रिकॉर्ड का मिसमैच होने से अपार आईडी जनरेट नहीं हो रही है। इसका खामियाजा स्कूल संचालकों को भुगतना पड़ रहा है। विभाग रोजाना स्कूल संचालकों के पेंच कसते हुए नोटिस जारी कर रहा है।