पुरानी पेंशन पर प्रधानमंत्री की बैठक से पहले कर्मचारी संगठन दो-फाड़; AIDEF का बहिष्कार, NPS मंजूर नहीं

Imran Khan
By -
0
पुरानी पेंशन पर प्रधानमंत्री की बैठक से पहले कर्मचारी संगठन दो-फाड़; AIDEF का बहिष्कार, NPS मंजूर नहीं

देश में 'पुरानी पेंशन' लागू होगी या 'एनपीएस' ही जारी रहेगी, इस पर अंतिम फैसले की घड़ी करीब आ गई है। शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) के प्रतिनिधियों से बातचीत करेंगे।

यह बैठक पीएम आवास पर बुलाई गई है। इस बैठक से पहले जेसीएम के सदस्यों के बीच तालमेल का अभाव साफ नजर आ रहा है। रेलवे के बाद केंद्र में दूसरे सबसे बड़े कर्मचारी संगठन अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) ने प्रधानमंत्री की इस बैठक का बहिष्कार कर दिया है। एआईडीईएफ के पदाधिकारियों का कहना है कि उन्हें ओपीएस के अलावा कुछ भी मंजूर नहीं है। केंद्र सरकार, संसद में कह चुकी है कि पुरानी पेंशन योजना, उसके विचाराधीन नहीं है। बजट पेश करने के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ओपीएस का जिक्र तक नहीं किया। केंद्रीय कर्मियों के एक बड़े संगठन 'कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स के महासचिव एसबी यादव ने बताया, पीएम की बैठक से पहले हमारा स्टैंड क्लीयर है। सरकारी कर्मचारियों को ओपीएस ही चाहिए। एनपीएस में संशोधन, किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं करेंगे।


केंद्र एवं राज्यों के कर्मचारी संगठन, पुरानी पेंशन बहाली के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। इस बाबत रामलीला मैदान में कर्मचारियों की कई रैलियां हो चुकी हैं। जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन किए गए हैं। कर्मचारी संगठनों ने कई बार प्रधानमंत्री से मिलने का आग्रह किया था। हालांकि पीएम मोदी खुद, सार्वजनिक मंचों से ओपीएस बाबत अपनी राय दे चुके हैं। पीएम ने उन राज्य सरकारों पर भी निशाना साधा था, जिन्होंने ओपीएस लागू की है। इसके अलावा, केंद्र सरकार कई बार कह चुकी है कि 'पुरानी पेंशन' बहाली संभव नहीं है। ज्वाइंट फोरम फॉर रेस्टोरेशन ऑफ ओल्ड पेंशन स्कीम (जेएफआरओपीएस) नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) के कन्वीनर शिव गोपाल मिश्रा एवं को-कन्वीनर डॉ. एम. राघवैया ने 29 फरवरी को ओपीएस बाबत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा था।

इस पत्र में बताया गया कि केंद्र एवं राज्यों के सरकारी कर्मियों ने ओपीएस बहाली की मांग को लेकर एक मई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है। कर्मियों को गारंटीकृत पुरानी पेंशन ही चाहिए। सरकार, बिना गारंटी वाली योजना 'एनपीएस' को समाप्त करे। जेएफआरओपीएस ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री मोदी को 10 अगस्त 2023 को भेजे ज्ञापन का हवाला देते हुए कहा है, कर्मियों को विश्वास है कि सरकार, एनपीएस को खत्म करने और सीसीएस (पेंशन) नियम, 1972 (अब 2021) के तहत गारंटीकृत पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल करेगी। जेएफआरओपीएस ने प्रधानमंत्री मोदी से मिलने का समय मांगा था। हालांकि बाद में केंद्र सरकार के इस आग्रह पर कि वित्त मंत्रालय की कमेटी को कुछ वक्त दे दिया जाए, कर्मचारी संगठनों ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल वापस ले ली थी।

अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी. श्रीकुमार के मुताबिक, उनका संगठन प्रधानमंत्री के साथ होने वाली बैठक में हिस्सा नहीं लेगा। वजह, बैठक में ओपीएस पर नहीं, बल्कि एनपीएस पर ही बातचीत होगी। एआईडीईएफ, पहले ही कह चुका है कि उसे एनपीएस में सुधार मंजूर नहीं है। कर्मचारियों को ओपीएस ही चाहिए। बता दें कि अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ ने नॉर्थ ब्लॉक में 15 जुलाई को हुई वित्त मंत्रालय की कमेटी की बैठक का भी बहिष्कार किया था। वित्त मंत्रालय ने पुरानी पेंशन पर बातचीत करने के लिए स्टाफ साइड (नेशनल काउंसिल, जेसीएम) के प्रतिनिधियों की बैठक बुलाई थी। इस बैठक में भी एनपीएस पर बातचीत हुई थी।

एआईडीईएफ के अध्यक्ष एसएन पाठक और महासचिव सी. श्रीकुमार का कहना था, कर्मियों को केवल 'गारंटीकृत पुरानी पेंशन' ही चाहिए। उन्हें एनपीएस में सुधार मंजूर नहीं है। केंद्र एवं और राज्य सरकारों के 6 करोड़ से अधिक कर्मचारी, एनपीएस को खत्म करने और पुरानी पेंशन योजना के तहत पेंशन बहाल करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। मोदी 2.0 सरकार ने एनपीएस में सुधार की सिफारिश के लिए वित्त सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था। एआईडीईएफ के कर्मचारी पक्ष ने राष्ट्रीय परिषद 'जेसीएम' और वित्त मंत्रालय की समिति को ज्ञापन सौंपकर एनपीएस में किसी भी तरह के सुधार की बात को खारिज कर दिया था। अब एआईडीईएफ ने पीएम मोदी की बैठक का भी बहिष्कार का दिया है।

केंद्र सरकार के एक बड़े कर्मचारी संगठन, कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स ने 15 जुलाई की बैठक से पहले जेसीएम के सचिव शिव गोपाल मिश्रा को पत्र लिखकर सूचित कर दिया था कि कर्मियों को ओपीएस से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। वे एनपीएस की समाप्ति और गारंटीकृत ओपीएस की बहाली चाहते हैं। कॉन्फेडरेशन के महासचिव एसबी यादव कहते हैं, ओपीएस में पेंशन की गारंटी है। कर्मचारी को एक रुपया दिए बिना ही यह सुविधा मिलती है। हालांकि कॉन्फेडरेशन के दो सदस्य, प्रधानमंत्री के साथ होने जा रही बैठक में शिरकत करेंगे, मगर हमारा एजेंडा क्लीयर है। एनपीएस में सुधार पर कोई बातचीत नहीं होगी। कर्मचारियों को केवल गारंटीकृत पेंशन ही चाहिए।

कॉन्फेडरेशन ने 19 जुलाई को लंबित मांगों को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन किया था। कर्मियों की मांगों में पुरानी पेंशन बहाली, आठवें वेतन आयोग का गठन, केंद्र सरकार में खाली पड़े 10-12 लाख पदों को भरना, 18 माह के डीए का एरियर जारी करना, रेस्टोरेशन कम्युटेशन ऑफ पेंशन की अवधि को 15 वर्ष से घटाकर 12 वर्ष करना, अनुकम्पा नियुक्ति पर लगी पांच प्रतिशत की सीमा को खत्म करना व आउटसोर्स एवं अनुबंध आधारित नियुक्तियों पर रोक लगाना आदि शामिल थी। बतौर बीएस यादव, आज भी कॉन्फेडरेशन अपनी मांगों पर कायम है। पीएम के साथ होने वाली बैठक में भी कॉन्फेडरेशन उक्त सभी मुद्दे रखेगा।

नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मंजीत सिंह पटेल ने प्रधानमंत्री की बैठक को लेकर कहा, ज्वाइंट कंसलटेटिव मशीनरी 'जेसीएम' केंद्र सरकार के विभागों के प्रतिनिधियों से मिलकर बनती है। केंद्रीय कर्मियों का जब भी कोई ऐसा मुद्दा होता है जो गतिरोध उत्पन्न करता है तो सरकार इसी प्रतिनिधिमंडल से बात करती है। इसके स्टैंडिंग कमेटी में केवल 12 लोग हैं जो सरकार से बातचीत करते हैं। मुद्दा कोई भी हो अगर वह केंद्रीय कर्मियों से जुड़ा है तो सरकार बातचीत इसी से करती है। इसी आधार पर राज्यों को सरकारें भी अपने अपने राज्यों की मान्यता प्राप्त संगठनों से बातचीत करती हैं। पुरानी पेंशन के मुद्दे पर इसीलिए सरकार, किसी राज्य के कर्मचारी संगठन को आमंत्रित नही करती। चूंकि रेलवे सबसे बड़ा केंद्रीय सेक्टर है इसलिए हमेशा रेलवे के प्रतिनिधि ही इन बैठकों में अहम किरदार होते हैं। खैर, जो भी हो हमारा आंदोलन आज सफलता के करीब है। हमें उम्मीद है प्रधानमंत्री मोदी, एनपीएस को ओपीएस में कनवर्ट करने का बड़ा और ऐतिहासिक फैसला जरूर लेंगे।

Post a Comment

0Comments

Post a Comment (0)