यूपी में परिषदीय विद्यालयों में 3288 विज्ञान-गणित के टीचर बनेंगे कौशल शिक्षक, नवंबर से शुरू होगी ट्रेनिंग
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। अब बच्चों की पढ़ाई सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि प्रयोगशाला और जीवन के अनुभवों से जुड़कर होगी। परिषदीय विद्यालयों में 'लर्निंग बाय डूइंग' यानी 'करके सीखो' की नई शिक्षा संस्कृति लागू की जा रही है।
इसके लिए प्रदेश के 3288 नव चयनित विज्ञान और गणित शिक्षक अब 'कौशल शिक्षक' के रूप में तैयार किए जाएंगे।
तीन नवंबर से लखनऊ के दीन दयाल उपाध्याय राज्य ग्राम्य विकास संस्थान में 1888 शिक्षकों का और 16 फरवरी से 18 मार्च 2026 तक उद्यमिता विकास संस्थान में 1400 शिक्षकों का आवासीय प्रशिक्षण होगा। यह कैंप 66 बैचों में पूरा किया जाएगा। प्रशिक्षण का उद्देश्य ऐसे शिक्षक तैयार करना है जो बच्चों को प्रयोग, माडल, गतिविधियों और वास्तविक जीवन के अनुभवों से जोड़कर पढ़ाएं।
यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप है और भविष्य की स्किल-इकोनॉमी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और नवाचार-प्रधान भारत के लिए नींव रखेगी। शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि जब बच्चा स्वयं प्रयोग करता है और सवाल पूछता है, तब उसकी जिज्ञासा, तार्किक सोच और समस्या-समाधान की क्षमता बढ़ती है। यही 'लर्निंग बाय डूइंग' की असली ताकत है, जो बच्चों को निष्क्रिय श्रोता से सक्रिय शिक्षार्थी में बदल देती है।
महानिदेशक स्कूल शिक्षा मोनिका रानी ने कहा कि अब विद्यालय ज्ञान के केंद्र के साथ अनुभव की प्रयोगशालाएं भी बनेंगे। हमारा उद्देश्य है कि बच्चे निडर होकर प्रश्न पूछें और हर अध्यापक उनमें सोचने की शक्ति जगाने का माध्यम बनें। यह प्रयास प्रदेश की बुनियादी शिक्षा में नवाचार की नई पाठशाला खोलेगा, जहां से भविष्य के आत्मविश्वासी, रचनात्मक और कौशलयुक्त भारत का निर्माण होगा।
