High court order
प्रयागराज। हाईकोर्ट ने कहा कि कर्मचारी की मृत्यु के बाद विभागीय अपील स्वतः समाप्त नहीं होती। इसकी मुख्य वजह है कि मृतक कर्मचारी के कानूनी उत्तराधिकारियों को सेवानिवृत्ति के बाद के लाभों पर प्रभाव पड़ता है। इस टिप्पणी संग वाराणसी के मंडलायुक्त के आठ जनवरी 2025 के आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें एक विभागीय अपील को अपीलकर्ता की मृत्यु के कारण खारिज कर दिया गया था।
न्यायमूर्ति अजीत कुमार की पीठ ने मुन्नी की याचिका पर यह आदेश दिया। याचिकाकर्ता के पति राजस्व विभाग में कार्यरत थे। इस दौरान एक चूक के चलते उन्हें सेवानिवृत्ति के दो दिन पहले बर्खास्त कर कर दिया गया। इसके खिलाफ उन्होंने आयुक्त के समक्ष अपील दाखिल की। इस बीच उनकी मृत्यु हो गई।
आयुक्त ने कर्मचारी की मृत्यु के आधार पर अपील खारिज कर दी। इस आदेश को कर्मचारी की पत्नी (याची) ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट ने कहा कि उत्तराधिकारी उस बर्खास्तगी आदेश पर प्रश्न उठाने का हकदार है, जिसके प्रतिकूल प्रभाव उस पर पड़ते हैं। कोर्ट ने कहा कि अपीलीय प्राधिकारी की ओर से अपील को खारिज करना न्यायोचित नहीं था।
कोर्ट ने यह भी कहा कि अपील के निपटारे के लिए कर्मचारी की उपस्थिति अनिवार्य नहीं है। मंडलायुक्त के आदेश को रद्द करते हुए दिवंगत कर्मचारी की अपील को बहाल करते हुए अपीलीय प्राधिकारी को दो महीने में गुण-दोष के आधार पर अपील का निपटारा करने का निर्देश दिया है।