निजी विद्यालयों में एनसीईआरटी की पुस्तकों को अनिवार्य करने की मांग, अभिभावकों ने आवाज उठाई
एनसीईआरटी की ही पुस्तकों से स्कूलों में पढ़ाए जाने को लेकर अभिभावक महासंघ के महासचिव गोविंद दुबे की अगुवाई में एक बार फिर अभिभावक लामबंद दिखे। अभिभावक महासंघ का एक प्रतिनिधि मंडल बृहस्पतिवार को कलेक्ट्रेट पहुंचकर जिला प्रशासन से मिला।
प्रतिनिधि मंडल ने जिलाधिकारी व अध्यक्ष स्व वित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय शुल्क नियामक समिति को संबोधित ज्ञापन सौंपकर मुनाफाखोरों पर लगाम लगाने की मांग किया। प्रदेश अध्यक्ष युधिष्ठिर दुबे ने बताया कि विगत कई वर्षों में निजी विद्यालय प्रबंधक एवं निजी प्रकाशकों की सांठ-गांठ से मुनाफाखोरी का पूरे प्रदेश में एक तंत्र विकसित हो गया है।
जनपद के अभिभावक भी इस मुनाफाखोर गठबंधन से काफी पीड़ित हैं। एनसीईआरटी की पुस्तकें सस्ती और शासन के मानकों के अनुरूप हैं। वहीं निजी प्रकाशकों की पुस्तकों का बाजार मूल्य काफी ज्यादा है। ऐसे में अभिभावकों के सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो रहा है।
समाजसेवी व महासचिव गोविन्द दुबे ने कहा कि अपने चहेते निजी प्रकाशकों की पुस्तकों को अपने स्कूलों में लागू कराकर प्रकाशकों से सांठ-गांठ कर अभिभावकों का आर्थिक शोषण किया जा रहा है। ऐसे मुनाफाखोर तंत्र का अभिभावक महासंघ पुरजोर विरोध करता है और अभिभावक हित में एनसीईआरटी की पुस्तकों को लागू कराने की मांग करता है।
समाजसेवी विवेक पांडेय व विनीत सिंह रीशु ने बताया कि अभिभावकों द्वारा बताया जा रहा है कि निजी प्रकाशकों की पुस्तकें एनसीईआरटी की पुस्तकों की अपेक्षा चार से पांच गुना अधिक महंगी हैं। इसके कारण अभिभावकों का शोषण हो रहा है, जिला प्रशासन हस्तक्षेप करके एनसीईआरटी की पुस्तकों से बच्चों को शिक्षा देने का निर्देश जारी किया जाना अनिवार्य है।
इस मौके पर अरुण चौरसिया, आलोक कुमार पाठक, प्रदीप चौरसिया, अजय राय, आकाश शर्मा, अनूप गोंड, सतीश कुमार सिंह, सुरेंद्र उपाध्याय, सुजीत मिश्रा, अंजनी मिश्र, अरविंद कुमार पांडेय, अजय नरायन पाठक, रविंद्र कुमार, शशि बिंद शर्मा, देवनाथ सिंह आदि उपस्थित थे।
