Income Tax के बारे में सबकुछ: क्या है इनकम टैक्स? किसे देना होता है इनकम टैक्स?
Income Tax: इनकम टैक्स डायरेक्ट टैक्स है। यह किसी व्यक्ति या संस्था की आय पर लगाया जाता है। आयकर की गणना (Income Tax Calculation) इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा पहले से तय इनकम स्लैब के आधार पर अगली टैक्सेबल इनकम पर की जाती है।
इनकम टैक्स क्या है? (What is Income Tax?)
इनकम टैक्स ऐसा टैक्स है जो आप अपनी कमाई के आधार पर सरकार को देते हैं। इसकी गणना सरकार द्वारा तय आय वर्ग के आधार पर की जाती है। सरकार इस आमदनी का इस्तेमाल अपने खर्चें पूरी करने और विकास के काम करने में करती है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म आयकर, टीडीएस/टीसीएस और गैर-टीडीएस/टीसीएस भुगतानों के आसान भुगतान की सुविधा प्रदान करते हैं। इससे करदाताओं के लिए प्रक्रिया सरल हो जाती है।
आयकर किसे देना चाहिए? (Who Should Pay Income Tax?)
- भारत में करदाताओं को अपनी आयु और आय के आधार पर पुरानी व्यवस्था के तहत आयकर का भुगतान करना आवश्यक है।
- 60 साल से कम उम्र के लोगों को टैक्स देना होगा अगर उनकी आय प्रति वर्ष 2.5 लाख रुपए से अधिक है।
- वरिष्ठ नागरिक (60 से 80 वर्ष की आयु वाले) भी 2.5 लाख रुपए की सीमा का पालन करते हैं। यदि मानक कटौती सहित कुल सकल आय अधिक है तो आयकर दाखिल करना (आईटीआर) अनिवार्य है।
- 60 साल से कम उम्र के लोगों के लिए 3 लाख रुपये।
- सीनियर सिटीजन (60 से 80 वर्ष की आयु) के लिए 3 लाख रुपये।
- सुपर सीनियर सिटीजन (80 वर्ष और उससे अधिक आयु) के लिए 5 लाख रुपये।
नीचे बताई गई संस्थाओं के लिए भी टैक्स देना या इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करना आवश्यक है:
- कृत्रिम न्यायिक व्यक्ति (आर्टिफीसियल जुडिशल पर्सन्स)
- कॉर्पोरेट फर्म
- व्यक्तियों का संघ (एओपी)
- हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ)
- कंपनियां
- स्थानीय प्राधिकरण (लोकल अथॉरिटीज)
- व्यक्तियों का निकाय (बीओआई)
भारत में आयकर नियम
देश में आयकर को प्रोसेस और कंट्रोल करने के लिए आयकर अधिनियम 1961 है। इसके साथ ही आयकर नियम 1962 भी बनाए गए थे।
क्या हैं आय के प्रकार? (What are the Different Types of Income?)
भारत में प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह कहीं भी रहे अपनी आमदनी पर इनकम टैक्स देने के लिए बाध्य है। आयकर विभाग ने आय को पांच अलग-अलग शीर्षकों में बांटा है। इनमें से प्रत्येक में खास स्रोत शामिल हैं।
- संपत्ति आय - इस श्रेणी में आवासीय संपत्ति को किराए पर देने से होने वाली आय शामिल है। किराये की आमदनी पाने वाले लोग इसमें आते हैं।
- वेतन आय - वेतन और पेंशन सहित रोजगार से प्राप्त आय इसमें शामिल है।
- व्यवसाय या पेशेवर आय - अपना काम धंधा करने वाला व्यक्ति, फ्रीलांसर, कारोबारी, ठेकेदार, जीवन बीमा एजेंट, चार्टर्ड अकाउंटेंट, डॉक्टर, वकील और ट्यूशन शिक्षक जैसे पेशेवर इसमें आते हैं।
- पूंजीगत लाभ आय - स्टॉक, म्यूचुअल फंड या रियल एस्टेट जैसी पूंजीगत संपत्तियों की बिक्री से होने वाली आमदनी इसमें आती है।
- अन्य स्रोतों से आय - बचत बैंक खाते, सावधि जमा और लॉटरी जीतने से ब्याज के रूप में अर्जित आय को अन्य स्रोतों से आय माना जाता है।
इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return)
इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) एक ऐसा फॉर्म है जिसे व्यक्ति अपनी आय के बारे में आयकर विभाग को जमा करता है। अपना टैक्स दाखिल करने से पहले, आपको अपने नियोक्ता (जिस कंपनी में काम करते हैं) द्वारा दिया गया फॉर्म 16 और निवेश का कोई भी प्रमाण चाहिए होगा। आप वर्ष के लिए देय कर और किसी भी रिफंड की गणना कर सकते हैं।
एमएसएमई और पेशेवरों के लिए अगली पीढ़ी का सामान्य आईटी फॉर्म पेश किया गया है। यदि उनकी नकद प्राप्तियां 5% से कम हैं, तो अनुमानित कर सीमा बढ़ाकर 3 करोड़ रुपये (टर्नओवर) और 75 लाख रुपये (आय) कर दी गई है।
इनकम टैक्स की ई-फाइलिंग
रिटर्न ई-फाइल करने से आपको कई लाभ मिलते हैं। आपको कागजी कार्रवाई की परेशानी से नहीं जूझना पड़ेगा। समय की बचत होगी। आप सुरक्षित वेबसाइट पर लॉग ऑन करके अपना रिटर्न ई-फाइल कर सकते हैं।
आयकर रिटर्न, टीडीएस रिटर्न, एआईआर रिटर्न और संपत्ति कर रिटर्न की ई-फाइलिंग https://incometaxindiaefiling.gov.in पर ऑनलाइन पूरी की जा सकती है।
इस सरकारी वेबसाइट पर आपके लिए रिटर्न जमा करने, फॉर्म 26AS देखने, बकाया कर मांग, सीपीसी रिफंड स्थिति, सुधार स्थिति, आईटीआर-वी रसीद स्थिति, पैन और टैन के लिए ऑनलाइन आवेदन टूल, अपने कर का ई-भुगतान और यहां तक कि टैक्स कैलकुलेटर की भी व्यवस्था है।
करदाता और आयकर स्लैब दरें
केंद्रीय बजट 2024 में वित्त मंत्री ने नई व्यवस्था के लिए आयकर स्लैब में बदलाव की घोषणा की थी। हालांकि, नई आयकर व्यवस्था वैकल्पिक है। आप इसे चुन सकते हैं या पुरानी व्यवस्था के अनुसार अपना टैक्स दाखिल कर सकते हैं।
वित्त वर्ष 2024-25 के लिए नई व्यवस्था के तहत आयकर स्लैब
आयकर स्लैब | टैक्स रेट |
3 लाख रुपये तक | शून्य |
3-7 लाख रुपये तक | 5% |
7-10 लाख रुपये तक | 10% |
10%10-12 लाख रुपये तक | 15% |
12-15 लाख रुपये तक | 20% |
15 लाख रुपये से अधिक | 30% |
60 साल से कम उम्र के लोगों के लिए इनकम टैक्स स्लैब (पुरानी व्यवस्था)
आयकर स्लैब | टैक्स रेट |
2.50 लाख रुपये तक | शून्य |
2.50,001-5 लाख रुपये तक | 5% |
5,00,001- 10 लाख रुपये तक | 5 लाख रुपये से अधिक की राशि का 20% |
10,00,000 रुपये से अधिक | 10 लाख रुपये से अधिक की राशि का 30% |
नोट- ऊपर गणना की गई कर राशि पर 4% का अतिरिक्त उपकर लागू होगा।
सीनियर और सुपर सीनियर सिटीजन इनकम टैक्स स्लैब (पुरानी व्यवस्था के अनुसार)
- इनकम टैक्स स्लैब रेट ( उम्र 60-80 साल) रेट (उम्र 80 साल से अधिक)
- 3 लाख रुपये तक शून्य शून्य
- 5 लाख रुपये तक 10% शून्य
- 5,00,001 से 10 लाख रुपये तक 20% 10%
- 10 लाख रुपये से अधिक 30% 20%
नोट: व्यक्ति की आयु के आधार पर करदाताओं को तीन श्रेणियों में बांटा जाता है।
1. वे व्यक्ति जिनकी उम्र 60 वर्ष से कम है।
2. वे लोग जो 60 वर्ष से अधिक और 80 वर्ष से कम आयु के हैं।
3. सुपर सीनियर नागरिक जो 80 वर्ष से अधिक आयु के हैं।
इनकम टैक्स कैलकुलेशन
आयकर की गणना मैन्युअल रूप से या ऑनलाइन इनकम टैक्स कैलकुलेटर का इस्तेमाल कर की जा सकती है। भुगतान की जाने वाली कर राशि उस कर स्लैब पर निर्भर करेगी जिसके अंतर्गत आप आते हैं। वेतनभोगी कर्मचारी की आय में मूल वेतन, हाउस रेंट अलाउंस (HRA), परिवहन भत्ता, विशेष भत्ता और अन्य भत्ते शामिल होते हैं।
हालांकि, आपके वेतन के कुछ खास घटक कर-मुक्त होते हैं, जैसे लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA), टेलीफोन बिल के पैसे आदि। यदि HRA आपके वेतन का हिस्सा है और आप किराए के घर में रहते हैं तो आप छूट का दावा कर सकते हैं। इन छूटों के अलावा 75 हजार रुपए तक की मानक कटौती भी है।
एडवांस टैक्स
एडवांस टैक्स देयता की पहले से गणना करना और उसके अनुसार सरकार को कर का भुगतान करना अग्रिम कर कहलाता है। अग्रिम कर भुगतान के लिए खास समय सीमाएं हैं।
एडवांस टैक्स जमा करने की तारीख कितना एडवांस टैक्स देना होगा
15 जून या उससे पहले एडवांस टैक्स का 15%
15 सितंबर या उससे पहले एडवांस टैक्स का 45%
15 दिसंबर या उससे पहले एडवांस टैक्स का 75%
15 मार्च या उससे पहले एडवांस टैक्स का 100%
कैसे कर सकते हैं इनकम टैक्स भुगतान
करदाता ई-भुगतान सुविधा का उपयोग करके इनकम टैक्स ऑनलाइन जमा कर सकते हैं। ऑनलाइन टैक्स देने के लिए आपके पास किसी अधिकृत बैंक में नेट-बैंकिंग खाता होना चाहिए। वेरिफिकेशन के लिए स्थायी खाता संख्या (पैन) या कर कटौती और संग्रह संख्या (टीएएन) भी देना होगा।
इनकम टैक्स कलेक्शन
सरकार तीन मुख्य तरीकों से इनकम टैक्स जमा करती है।
1. अग्रिम कर और स्व-मूल्यांकन कर जैसे नामित बैंकों में स्वैच्छिक करदाता भुगतान।
2- स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) जो आपके मासिक वेतन से प्राप्त होने से पहले ही काट ली जाती है।
3- स्रोत पर कर संग्रह (टीसीएस)
वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अंतर्गत काम करने वाला आयकर विभाग (आईटी विभाग) आयकर, व्यय कर और विभिन्न अन्य वित्तीय अधिनियमों के जमा होने वाले टैक्स की निगरानी करता है। इन्हें हर साल केंद्रीय बजट में पारित किया जाता है।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) करों की नीति और नियोजन को नियंत्रित करता है। सीबीडीटी आईटी विभाग के माध्यम से प्रत्यक्ष कर कानूनों को लागू करने के लिए भी जिम्मेदार है।
कर जमा करने के अलावा, आईटी विभाग कर चोरी को रोकने और उसका पता लगाने में भी शामिल है।
इनकम टैक्स फॉर्म लिस्ट
यदि किसी व्यक्ति को इनकम टैक्स रिफंड का दावा करना है तो उसे पहले इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करना होगा। आय मूल्यांकन समूह के आधार पर व्यक्ति को नीचे दिए गए ITR फॉर्म में से एक जमा करना होगा:
आईटीआर फॉर्म का नाम और विवरण
ITR-1: वेतन, एक घर की संपत्ति, अन्य स्रोतों (ब्याज आदि) से आय वाले व्यक्ति
ITR-2: व्यवसाय या पेशे से आय नहीं पाने वाले व्यक्तियों और HUF के लिए
ITR-2A: व्यवसाय या पेशे से आय न रखने वाले व्यक्तियों और HUF के लिए और पूंजीगत लाभ तथा विदेशी संपत्ति न रखने वाले व्यक्तियों और HUF के लिए
ITR-3: फर्मों में भागीदार होने वाले व्यक्तियों/HUF के लिए तथा किसी स्वामित्व के तहत व्यवसाय या पेशा न चलाने वाले व्यक्तियों के लिए
ITR-4: स्वामित्व वाले व्यवसाय या पेशे से आय रखने वाले व्यक्तियों और HUF के लिए
ITR-4S: अनुमानित व्यवसाय आयकर रिटर्न
ITR-5: (i) व्यक्ति, (ii) HUF, (iii) कंपनी और (iv) फॉर्म ITR-7 दाखिल करने वाले व्यक्ति के अलावा अन्य व्यक्तियों के लिए
ITR-6: धारा 11 के तहत छूट का दावा करने वाली कंपनियों के अलावा अन्य कंपनियों के लिए
ITR-7: धारा 11 के तहत रिटर्न पेश करने के लिए आवश्यक कंपनियों सहित व्यक्तियों के लिए 139(4A) या 139(4B) या 139(4C) या 139(4D) या 139(4E) या 139(4F)
ITR-V: आय रिटर्न दाखिल करने का एक्नॉलेजमेंट फॉर्म
ITR दाखिल करने के लिए किसी व्यक्ति को बैंक स्टेटमेंट, फॉर्म 16 और पिछले साल के रिटर्न की एक प्रति देनी होगी। रजिस्ट्रेशन और रिटर्न फाइल करने के लिए उसे आयकर विभाग की वेबसाइट - https://incometaxindiaefiling.gov.in/ पर जाना होगा।
इनकम टैक्स रिफंड
- यदि आपने अधिक टैक्स दिया है तो आप अपने द्वारा दिए गए अतिरिक्त पैसे पर इनकम टैक्स रिफंड का दावा कर सकते हैं।
- उदाहरण के लिए यदि वित्त वर्ष 2023-2024 के लिए आपकी टीडीएस देयता (जितना टैक्स देना है) 35,000 रुपये थी और आपके नियोक्ता (जिस कंपनी में काम करते हैं) ने इसके बजाय 40,000 रुपये काट लिए तो आप काटे गए अतिरिक्त 5,000 रुपये के लिए रिफंड का दावा कर सकते हैं।
- यदि आप अपने कर-बचत निवेशों की घोषणा करना भूल गए हैं और आपकी कटौतियों पर विचार किए बिना आपसे कर वसूला गया है तो आप इनकम टैक्स रिफंड का दावा कर सकते हैं। आप आयकर विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर इनकम टैक्स रिफंड की स्थिति की जांच कर सकते हैं।
- आयकर पर बचत के लिए नीचे बताए गए विकल्पों पर विचार किया जा सकता है।
निवेश
इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) जैसे म्यूचुअल फंड पर धारा 80सी के तहत कर कटौती का दावा किया जा सकता है। फिक्स्ड डिपॉजिट और पीपीएफ की तुलना में ईएलएसएस में कम लॉक-इन अवधि और पैसा बनाते समय अधिक लाभ मिलता है। यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (यूएलआईपी) बाजार से जुड़ी बीमा योजनाएं हैं। यूएलआईपी के तहत किया गया निवेश कर कटौती के लिए योग्य है।
बीमा
जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा- जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों के लिए भुगतान की गई राशि को धारा 80सी के तहत कर कटौती के लिए माना जाता है।
एजुकेशन लोन कटौती- धारा 80ई के तहत, उच्च शिक्षा के लिए लिए गए लोन पर चुकाए गए ब्याज के लिए कटौती का प्रावधान है। इस कटौती का दावा करने की कोई सीमा नहीं है।
होम लोन
जब हम घर खरीदने या उठे ठीक कराने के लिए लोन लेते हैं तो हम एक वित्तीय वर्ष के लिए 1.5 लाख रुपये तक की कर कटौती के लिए पात्र होते हैं। पर्सनल लोन पर कोई कर छूट नहीं दी जाती है।
ब्याज आय के लिए कटौती
धारा 80TTA के तहत, बैंकों से जमा राशि पर ब्याज के लिए कटौती। इस धारा के तहत व्यक्ति 10,000 रुपये तक की कटौती का दावा कर सकते हैं।
आप अपनी आय पर कर राशि कम करने के लिए नीचे दिए गए विकल्पों पर भी विचार कर सकते हैं।
सावधि जमा (FD) - 5 साल की लॉक-इन अवधि वाली FD आपको जमा राशि पर ब्याज अर्जित करते हुए कर बचाने में मदद कर सकती है।
राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (NSC) - NSC सुरक्षित निवेश है। आप 5-10 साल की लॉक-इन अवधि के लिए 100 रुपये से भी कम राशि जमा कर सकते हैं। NSC के तहत किए गए निवेश कर कटौती के लिए पात्र हैं।
भविष्य निधि (PF) - आप अपने PF खाते में अधिक निवेश करना भी चुन सकते हैं, जिससे आपको अपनी कर योग्य राशि कम करने में मदद मिलेगी।
इनकम टैक्स डिडक्शन सेक्शन लिस्ट
आपकी कर योग्य राशि के लिए कटौती आयकर अधिनियम 1961 की विभिन्न धाराओं के तहत उपलब्ध है। आयकर रिटर्न ई-फाइल करते समय उचित आईटीआर फॉर्म में कटौती का उल्लेख किया जाना चाहिए।
धारा 80सी: इस धारा के तहत कटौती केवल व्यक्तियों और एचयूएफ के लिए उपलब्ध है। यह धारा एनएससी आदि जैसे कुछ निवेशों और 1.5 लाख रुपए तक के खर्च को टैक्स से छूट देती है।
धारा 80सीसीसी: इस धारा के तहत कटौती एलआईसी या किसी अन्य बीमा कंपनी को पेंशन योजना के तहत किए गए भुगतान पर होती है। छूट 1.5 लाख रुपए तक मिलेगी।
धारा 80सीसीडी: इस धारा के तहत कटौती करदाता और नियोक्ता द्वारा नई पेंशन योजना में योगदान के लिए है। कटौती योगदान के बराबर है, जो उसके वेतन के 10% से अधिक नहीं होनी चाहिए। धारा 80सी, 80सीसीसी और 80सीसीडी के तहत उपलब्ध कुल कटौती 1.5 लाख रुपये है। हालांकि, धारा 80सीसीडी के अंतर्गत अधिसूचित पेंशन योजना में योगदान को 1.5 लाख रुपये की सीमा में शामिल नहीं किया जाता है।
धारा 80डी: यह वह धारा है जो भुगतान किए गए स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर आयकर कटौती से संबंधित है। व्यक्तियों के मामले में, बीमा पॉलिसी स्वयं, अपने जीवनसाथी, आश्रित बच्चों - 15,000 रुपये तक और माता-पिता (चाहे आश्रित हों या नहीं) 15,000 रुपये तक के लिए ली जा सकती है। यदि बीमाधारक सीनियर सिटीजन है तो 5,000 रुपये की अतिरिक्त कटौती लागू होती है। एचयूएफ के मामले में, किसी भी सदस्य का बीमा किया जा सकता है और सामान्य कटौती 15,000 रुपये तक होगी और 5,000 रुपये की अतिरिक्त कटौती होगी। कुल 2.0 लाख रुपये की कटौती का दावा किया जा सकता है, चाहे करदाता एक व्यक्ति हो या एचयूएफ।
धारा 80डीडीबी: यह धारा करदाता, परिवार के सदस्य या एचयूएफ के किसी भी सदस्य के लिए नियमों (11डीडी) में बताई गई बीमारी के इलाज पर होने वाले खर्च पर कटौती के लिए है।
धारा 80ई: यह धारा भारत में शिक्षा के लिए एजुकेशन लोन पर चुकाए गए ब्याज पर लागू कटौती से संबंधित है।
धारा 80ईई: यह धारा पहली बार घर खरीदने वालों पर लागू कर बचत से संबंधित है। धारा 80ईई उन व्यक्तियों पर लागू होती है, जिनके पहले खरीदे गए घर का मूल्य 40 लाख रुपये से कम है और ऋण 25 लाख रुपये या उससे कम का लिया गया है।
धारा 80आरआरबी: इस धारा के तहत रॉयल्टी या पेटेंट के माध्यम से आय के संबंध में कटौती का दावा किया जा सकता है। पेटेंट अधिनियम 1970 के तहत पंजीकृत पेटेंट के लिए 3.0 लाख रुपये तक की आयकर बचत की जा सकती है।
धारा 80टीटीए: यह धारा बचत बैंक खातों, डाकघरों या सहकारी समितियों में अर्जित ब्याज पर लागू कर बचत से संबंधित है। व्यक्ति और एचयूएफ 10,000 रुपये तक की ब्याज आय पर कटौती का दावा कर सकते हैं।
धारा 80यू: यह धारा आयकर पर फ्लैट कटौती से संबंधित है विकलांगता की गंभीरता के आधार पर 1.0 लाख तक की राशि पर कर नहीं लगाया जा सकता है।
धारा 24: यह धारा होम लोन पर दिए जाने वाले ब्याज से संबंधित है, जो टैक्स फ्री है। धारा 80सी, 80सीसीएफ और 80डी के तहत कटौती के अलावा, प्रति वर्ष 2.0 लाख रुपये तक की राशि का दावा कटौती के रूप में किया जा सकता है। यह केवल स्वयं के कब्जे वाली संपत्तियों के लिए है। किराए पर दी गई संपत्तियां, प्राप्त किराए का 30% और भुगतान किए गए नगरपालिका कर कर छूट के लिए पात्र हैं।
इनकम टैक्स पर पूछे जाने वाले सवाल और उनके जवाब
1- कर योग्य आय क्या है?
कर योग्य आय में वेतन, बोनस, मजदूरी और वित्तीय वर्ष के दौरान अर्जित अन्य आय शामिल हैं।
2- करदाता कौन हैं?
जो व्यक्ति सालाना 2.5 लाख रुपये से अधिक कमाते हैं, उन्हें भारत सरकार को कर देना चाहिए।
3. आयकर और आयकर रिटर्न के बीच क्या अंतर है?
आयकर आपको हुई आमदनी पर लगने वाला टैक्स है। आयकर रिटर्न अर्जित आय, कर देयता और आयकर विभाग के साथ भुगतान का विवरण देने वाला एक दर्ज रिकॉर्ड है।
4. भारत में करदाताओं के विभिन्न प्रकार क्या हैं?
करदाताओं को व्यक्तियों, हिंदू अविभाजित परिवारों (HUF), फर्मों, कंपनियों और अन्य श्रेणियों में बांटा गया है, इनमें से प्रत्येक के लिए खास कर नियम हैं।
5. आयकर सरकार के राजस्व में कैसे योगदान देता है?
आयकर सरकार के लिए राजस्व का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। इससे बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, किसान सब्सिडी और विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लिए पैसे की व्यवस्था होती है।
6. भारतीय कराधान प्रणाली (इंडियन टैक्सेशन सिस्टम) में आय के पांच प्रमुख कौन से हैं?
आय के पांच प्रमुख हैं अन्य स्रोतों से आय, गृह संपत्ति से आय, पूंजीगत लाभ से आय, व्यवसाय और पेशे से आय और वेतन से आय।
7. आयकर विभाग की क्या भूमिका है?
आयकर विभाग सरकारी एजेंसी है। यह भारत सरकार की ओर से प्रत्यक्ष करों को इकट्ठा करने और कर कानूनों का पालन तय करने के लिए जिम्मेदार है।
8. इनकम टैक्स में टीडीएस क्या है?
नियोक्ता द्वारा काटी गई और आईटी विभाग में जमा की गई कर राशि टीडीएस है। काटा जाने वाला टीडीएस व्यक्ति के वेतन पर निर्भर करेगा।
9. आयकर का भुगतान किसे करना आवश्यक है?
कोई भी व्यक्ति, कृत्रिम निकाय या व्यक्तियों का समूह जो मूल छूट सीमा से अधिक कमाता है, उससे आयकर का भुगतान करने की अपेक्षा की जाती है।
10. आयकर क्यों वसूला जाता है?
सरकार अपने खर्च पूरे करने के लिए आयकर वसूलती है। इसमें राज्य और केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन का भुगतान और बुनियादी ढांचे के खर्चों को पूरा करना शामिल है। सरकार द्वारा वसूला गया आयकर आय के स्रोत के रूप में काम करता है। इससे राष्ट्र के विकास के काम होते हैं।
11. आयकर किस प्रकार का कर है?
आयकर प्रत्यक्ष कर है। आयकर के मामले में लगाने वाला पक्ष सरकार है, जबकि जिम्मेदार पक्ष वह है जो आय प्राप्त कर रहा है।
12. आयकर बचाने के लिए मुझे कहां निवेश करना चाहिए?
ऐसे कई साधन हैं जिनमें आप कर बचाने के लिए निवेश कर सकते हैं। सबसे आम विकल्पों में पीपीएफ, राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र, राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली, ईएलएसएस योजनाएं आदि शामिल हैं।
13. क्या ट्यूशन टीचर्स की आय पर टैक्स लगता है?
हां, ट्यूशन टीचर्स की आय पर प्रोफेशनल इनकम टाइप के तहत टैक्स लगता है।
14. क्या आपको कैश में आय होने पर टैक्स देना पड़ता है?
हां, कैश में आय पर भी इनकम टैक्स लगता है। अगर कैश क्रेडिट का कोई कारण नहीं बताया गया है तो टैक्स 60% की फ्लैट दर से लगता है और छूट के मामले में कोई अन्य टैक्स लाभ लागू नहीं होता है। इसके अलावा 25% का सरचार्ज लगता है, इसमें 6% का जुर्माना भी शामिल है।
15. भारत में कितनी आय टैक्स-फ्री है?
भारत में वर्तमान में आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए दो अलग-अलग टैक्स व्यवस्थाएं इस्तेमाल की जाती हैं। हालांकि, नई और पुरानी दोनों व्यवस्थाओं के लिए टैक्स-फ्री आय अलग-अलग है। अगर आपने पुरानी टैक्स व्यवस्था चुनी है तो 2.5 लाख रुपये तक की सालाना आय टैक्स-फ्री है, जबकि नई टैक्स व्यवस्था के लिए 3 लाख रुपये तक की सालाना आय टैक्स-फ्री है।