चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति क्यों नहीं दी, हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी, शिक्षा निदेशक से मांगा जवाब
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि शिक्षा निदेशक माध्यमिक उत्तर प्रदेश बताएं कि चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति क्यों नहीं दी गई है। न्यायालय ने कहा कि 16 दिसंबर तक निदेशक व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर जवाब देंगे अन्यथा उन्हें व्यक्तिगत रूप से बुलाने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की पीठ ने प्रदीप कुमार सिंह एवं 15 अन्य और गौरव कुमार की याचिका पर दिया है। याची प्रदीप व गौरव ने बताया कि उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड प्रयागराज की ओर से टीजीटी 2013 भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया था।
विज्ञपित पदों की संख्या घटाकर अंतिम परिणाम घोषित किया गया। इसके खिलाफ उम्मीदवारों ने याचिका दाखिल की। न्यायालय के आदेश पर चयन बोर्ड ने 2019 में 1167 चयनित उम्मीदवारों का अवशेष पैनल जारी किया। इसमें लगभग 860 उम्मीदवारों को नियुक्ति दे दी गई। लेकिन लगभग 307 उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया। इसके खिलाफ ही उम्मीदवारों ने याचिका दाखिल की है।
गौरव कुमार की याचिका में उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के अधिवक्ता तनुज साही ने न्यायालय को बताया कि चयनित उम्मीदवारों की नियुक्त क्यों नहीं की गई इसका जवाब देने के लिए शिक्षा निदेशक सक्षम प्राधिकारी हैं। रिट-ए 839/2023 में एक बहुत विस्तृत आदेश पारित किया गया था, लेकिन शिक्षा निदेशक ने कोई जवाब नहीं दिया।
न्यायालय ने पक्षों को सुनने के बाद कहा कि याचियों का चयन उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड प्रयागराज ने वर्ष 2019 में सहायक अध्यापक, एलटी ग्रेड के पद पर किया, लेकिन नियुक्ति दी। न्यायालय ने नोटिस जारी कर शिक्षा निदेशक से जवाब मांगा है। न्यायालय ने रजिस्ट्रार (अनुपालन) को आदेश दिया कि 48 घंटे के भीतर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, लखनऊ के माध्यम से शिक्षा निदेशक (माध्यमिक), यूपी, लखनऊ को सूचित किया जाए।
चयन बोर्ड को ज्ञापन दिया पर कोई कार्रवाई नहीं हुई
अलीगढ़ निवासी पंकज कुमार व अन्य चार ने इसी मामले में याचिका दाखिल की है, जो रिट ए 839/2023 से कनेक्ट है। हम लोग अवशेष पैनल में चयनित उम्मीदवार हैं। पंकज का कहना है कि नियुक्ति के लिए तीन दिसंबर को उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन बोर्ड प्रयागराज को ज्ञापन दिया था। लेकिन हमें नियुक्ति पत्र नहीं दिया जा रहा है। ज्ञापन के बाद भी बोर्ड ने कोई कार्रवाई नहीं की है।