देखें कोर्ट आर्डर : तीन माह से ज्यादा के बच्चे को गोद लेने पर मातृत्व अवकाश क्यों नहीं? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा सरकार से सवाल
जस्टिस जेबी पारदीवाला व जस्टिस पंकज मिथल की पीठ ने कहा, जनहित में पेश मामला प्रथमदृष्टया यह है कि यह एक सामाजिक कल्याण कानून है और शिशु की आयु को तीन महीने तक सीमित करने के पीछे कोई उचित वर्गीकरण नहीं किया गया। पीठ ने 12 नवंबर के आदेश में कहा, केंद्र ने तीन महीने की सीमा को न्यायोचित ठहराया है, पर सुनवाई के दौरान कई मुद्दे उठे हैं। पीठ ने केंद्र को जवाब देने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है। अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी।
बच्चों से भेदभाव का दावा
अक्तूबर 2021 में, शीर्ष कोर्ट ने उस याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा था जिसमें दावा किया गया था कि मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 की धारा 5(4) बच्चों के प्रति भेदभावपूर्ण व मनमानी है।