सरकार की मंशा के अनुसार परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के शैक्षिक स्तर का मूल्यांकन करने के लिए पहली बार सत्र परीक्षा कराई जा रही है। 18 सितंबर को शुरू हुई सत्र परीक्षा 24 सितंबर तक चलेगी। 1164 प्राथमिक विद्यालय, 387 कंपोजिट स्कूल तथा 264 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सत्र परीक्षा संपन्न कराने के लिए करीब छह हजार शिक्षक व शिक्षामित्र लगाए गए हैं। कक्षा एक से लेकर आठ तक के करीब दो लाख 12 हजार विद्यार्थी परीक्षा दे रहे हैं। इसी बीच जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान जहां शिक्षकों का तीन दिवसीय सुरक्षा संरक्षण प्रशिक्षण आयोजित किया जा रहा है, वहीं ब्लॉक संसाधन केंद्रों पर चार दिवसीय शिक्षक प्रशिक्षण का आयोजन किया जा रहा है। यह प्रशिक्षण भी 24 सितंबर तक चलेगा। अब सवाल यह उठता है कि शिक्षक स्कूलों में सत्र परीक्षा कराएं या फिर ब्लाॅक संसाधन केंद्र पर प्रशिक्षण लें।
शिक्षक नेता ने उठाए सवाल
यूनाईटेड टीचर्स एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष देवकुमार मिश्र का कहना है कि प्रशिक्षण और सत्र परीक्षा दोनों एक साथ कराया गलत है। इससे शिक्षक बच्चों की परीक्षा कराने में असहज हो रहे हैं। वहीं शिक्षकों को प्रशिक्षण में शामिल न होने पर खंड शिक्षा अधिकारी व डायट प्राचार्य की तरफ से कार्रवाई का डर भी सता रहा है। इनका कहना है कि सत्र परीक्षा शासन से पहले ही निर्धारित कर दी गई थी, ऐसे में शिक्षकों का प्रशिक्षण बाद में आयोजित होना चाहिए।
प्रशिक्षण के लिए कुछ स्कूलों से ही बुलाए गए हैं शिक्षक
सत्र परीक्षा और प्रशिक्षण एक साथ होने के कारण कोई समस्या नहीं आ रही है। दोनों ही कार्य अच्छे ढंग से संपन्न हो रहे हैं। जिन विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या अधिक है, वहीं से शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए बुलाया गया है। प्रशिक्षण व सत्र परीक्षा में किसी भी तरह की अव्यवस्था नहीं है। - शुभम शुक्ल, बीएसए बलरामपुर