पुरानी पेंशन बहाली के लिए दिल्ली में रैली करेंगे सरकारी कर्मचारी, जानें कब, कहां और कैसे होगा प्रदर्शन
केंद्र सरकार द्वारा एनपीएस में सुधार कर लाई गई 'यूनिफाइड पेंशन स्कीम' (यूपीएस) लागू करने की घोषणा से सरकारी कर्मचारी संतुष्ट नहीं हैं। सरकार ने अभी तक यूपीएस का गजट भी जारी नहीं किया है, लेकिन कर्मचारी संगठनों ने अभी से ही विरोध का स्वर बुलंद कर दिया है।
केंद्र एवं राज्य सरकारों के कर्मचारी संगठनों ने दिल्ली में रैलियां करने की बात कही है। इस विरोध प्रदर्शन की कड़ी में सबसे पहले 'एनएमओपीएस' द्वारा 26 सितंबर को देश के सभी जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन आयोजित किया जाएगा। इसके बाद 17 नवंबर को केंद्रीय कर्मचारी संगठन 'नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत' (एआईएनपीएसईएफ) नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर की रैली करेगा। इसमें विभिन्न राज्यों के कर्मचारी संगठन भी हिस्सा लेंगे।
अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के सदस्यों ने प्रतिज्ञा ली है कि जब तक मैं गैर-अंशदायी पुरानी पेंशन योजना हासिल नहीं कर लेता, तब तक चैन से नहीं बैठूंगा। रेलवे के विभिन्न कर्मचारी संगठन भी अब खुलकर यूपीएस के विरोध में खड़े हो गए हैं। एआईडीईएफ के महासचिव सी. श्रीकुमार ने बताया, आयुध कारखानों के रक्षा कर्मचारी एक अक्तूबर को निगम दिवस का बहिष्कार करेंगे। इस संगठन से जुड़े कर्मचारियों ने यूपीएस के खिलाफ अपने आंदोलन को दोबारा से प्रारंभ करने का निर्णय लिया है। अंशदायी पेंशन योजना, यूपीएस का पुरजोर विरोध किया जाएगी। पिछले 20 वर्षों से केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी, अंशदायी पेंशन योजना के खिलाफ लड़ रहे हैं। उनकी मांग गैर-अंशदायी पुरानी पेंशन योजना को फिर से बहाल कराना है। कर्मचारियों के पास अब यही विकल्प बचा है कि वे यूपीएस में शामिल हों या एनपीएस में बने रहें।
बता दें कि 24 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी के साथ बैठक करने वाले संगठनों में एआईडीईएफ शामिल नहीं था। इस संगठन ने ओपीएस की मांग को लेकर पीएम की बैठक का बहिष्कार किया था। बतौर श्रीकुमार, यूपीएस कुछ नहीं है, बल्कि एनपीएस का विस्तार है। राज्य सरकार के कर्मचारी संगठनों ने भी यूपीएस को खारिज कर दिया है। कई राज्यों में रैलियां और विरोध कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। एआईडीईएफ महासचिव सी. श्रीकुमार के मुताबिक, वे यूपीएस को स्वीकार नहीं कर सकते। वजह, यह एक अंशदायी प्रकृति की योजना है। कर्मचारियों की संचित निधि, जिसमें उन्होंने 3 दशकों से अधिक समय तक योगदान दिया है, उसे वापस नहीं लौटाया जाएगा। भले ही पेंशन की पात्रता 25 साल रखी गई है, लेकिन कर्मचारियों को पेंशन 60 साल की उम्र के बाद ही मिलेगी। पुरानी पेंशन योजना में मिलने वाले कई लाभ एनपीएस और यूपीएस में नहीं मिलते हैं। दो अक्टूबर को एआईडीईएफ ने रक्षा कर्मचारियों, विशेषकर एनपीएस कर्मचारियों को एकजुट करने का निर्णय लिया है।
गांधी जयंती दिवस पर एआईडीईएफ का प्रत्येक सदस्य शपथ लेगा कि मैं, एक रक्षा नागरिक कर्मचारी, विनाशकारी एनपीएस और यूपीएस अंशदायी पेंशन योजना से मुक्त होने के लिए सभी संघर्षों और आंदोलनों में शामिल होने के लिए प्रतिबद्ध हूं। मैं सीसीएस (पेंशन) नियम, 1972 (अब 2021) के तहत गैर अंशदायी पेंशन प्राप्त करने के लिए सभी ट्रेड यूनियन एक्शन कार्यक्रमों का भी समर्थन करता हूं और उनमें भाग लूंगा। मैं प्रतिज्ञा करता हूं कि जब तक मैं गैर-अंशदायी पुरानी पेंशन योजना हासिल नहीं कर लेता, तब तक चैन से नहीं बैठूंगा और हम सभी सरकारी कर्मचारियों की इस वास्तविक और उचित मांग को वास्तविकता में बदलने में एक हैं। इस बाबत दूसरे संगठनों से भी चर्चा जारी है।
नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत के अध्यक्ष मंजीत सिंह पटेल ने बताया, 30 सितंबर तक अगर यूपीएस का गजट नहीं आता है तो विरोध प्रदर्शन होगा। इसके अलावा 17 नवंबर को नई दिल्ली में ओपीएस बहाली के लिए पेंशन जयघोष महारैली आयोजित की जाएगी। रैली की तैयारियां शुरु कर दी गई हैं। उत्तर प्रदेश से पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा ने इस बाबत हस्ताक्षर अभियान शुरु किया है। हस्ताक्षर अभियान में लखनऊ, मऊ, उन्नाव, कानपुर, शाहजहांपुर, लखीमपुर व बरेली से हजारों कर्मचारियों ने दिल्ली चलने की तैयारियां प्रारंभ कर दी हैं। इस बार साफ है कि 20 वर्ष की नौकरी के बाद 50 प्रतिशत पेंशन का आधार सुनिश्चित हो, कर्मचारी अंशदान की ब्याज सहित यानी जीपीएफ की तरह वापसी और वीआरएस/अनिवार्य सेवानिवृत्ति/सेवानिवृत्ति पर संपूर्ण राशि की वापसी, ये मांगें मनवा ही रहेंगे। 17 नवंबर की रैली में देशभर से लाखों कर्मचारी भाग लेंगे। इनमें दिल्ली, जम्मू कश्मीर, पंजाब, हिमाचल, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, हरियाणा, गुजरात, असम, मेघालय, नागालैंड, सिक्किम, तमिलनाडु, चंडीगढ़ और महाराष्ट्र सहित अन्य प्रदेशों के अलावा केंद्रीय कर्मचारियों के संगठन भी शामिल हैं।
एनएमओपीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बन्धु की अध्यक्षता में 15 सितंबर को संगठन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक दिल्ली में आयोजित की गई थी। इस बैठक में सभी राज्यों के मुख्य पदाधिकारियों भाग लिया। इसमें ओपीएस बहाली के लिए आगामी आंदोलन की रूपरेखा तैयार की गई। सबसे पहले 26 सितंबर को देश के समस्त जिला मुख्यालयों पर यूपीएस/एनपीएस के खिलाफ आक्रोश मार्च होगा। इसके बाद 15 दिसंबर 2024 को दिल्ली में एनएमओपीएस का राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित किया जाएगा। उसमें आगे की रणनीति का एलान होगा। नेशनल ओल्ड पेंशन रेस्टोरेशन यूनाइटेड फ्रंट (एनओपीआरयूएफ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीपी सिंह ने पिछले महीने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा था। उन्होंने कहा था, एक करोड़ एनपीएस कर्मचारी, यूपीएस का विरोध करते हैं। यूपीएस के आने से कर्मचारी निराश हैं। वे 'पुरानी पेंशन' बहाल कराने के लिए संघर्ष करेंगे।
उत्तर पश्चिम रेलवे मजदूर संघ ने भी केंद्र सरकार द्वारा लाई गई यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) का विरोध किया है। पिछले दिनों विभिन्न स्थानों पर रेलवे कर्मियों ने रैली निकाली है। कई स्टेशनों पर यूपीएस विरोध सभा का आयोजन किया गया। यूपीआरएमएस ने भी यूपीएस को विरोध किया है। नॉर्दन रेलवे एम्पलाएज यूनियन एवं इंडियन रेलवे एम्पलाएज फेडरेशन ने भी यूपीएस के विरोध में प्रदर्शन किया है।
पीएम की बैठक में शामिल 'कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स' के अध्यक्ष रूपक सरकार कह चुके हैं, कि ओपीएस का संघर्ष खत्म नहीं हुआ है। अभी हम यूपीएस का विस्तृत नोटिफिकेशन आने का इंतजार कर रहे हैं। महाराष्ट्र में लंबे समय से ओपीएस की लड़ाई लड़ने वाले 'महाराष्ट्र राज्य जुनी पेन्शन संघटना' के राज्य सोशल मीडिया प्रमुख विनायक चौथे कहते हैं, ओपीएस की लड़ाई खत्म नहीं हुई है। हमारा संगठन एनएमओपीएस के तहत अपना संघर्ष जारी रखेगा। हरियाणा में भी पेंशन बहाली संघर्ष समिति के राज्य प्रधान विजेंद्र धारीवाल, लगातार ओपीएस की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।