ओबीसी वर्ग की चिंता और कैविएट
हाईकोर्ट के आदेश के बाद ऐसी संभावना जताई जा रही है कि अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। इसी आशंका को ध्यान में रखते हुए ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों ने पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की है, ताकि कोई भी फैसला लेने से पहले उनका पक्ष भी सुना जाए। ओबीसी अभ्यर्थियों की इस कैविएट का उद्देश्य यह है कि अगर अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट जाते हैं, तो कोर्ट उनका भी पक्ष सुने।
ओबीसी अभ्यर्थियों की मांग है कि अगर अनारक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों का समायोजन किया जाता है, तो हाईकोर्ट में रिट दायर करने वाले लगभग 4,000 ओबीसी अभ्यर्थियों को भी नियुक्ति पत्र दिए जाएं। यदि ऐसा नहीं होता है, तो वे अनारक्षित वर्ग के समायोजन का विरोध करेंगे।
शिक्षक भर्ती पर सियासत और विरोध प्रदर्शन
इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मच गई है। समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी समेत कई विपक्षी दलों ने योगी सरकार पर इस मामले को लेकर हमला बोला है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कोर्ट के आदेश के बावजूद नई मेरिट लिस्ट तैयार करने के लिए तीन महीने का समय मांगने पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, "कंप्यूटर के इस युग में तीन घंटे में नई लिस्ट बन सकती है, तो तीन महीने का समय क्यों?"
अखिलेश यादव ने यह भी आरोप लगाया कि यह समय इसलिए लिया गया है ताकि मामला सुप्रीम कोर्ट में जाए और फिर दोबारा कोर्ट में फंस जाए।
इसी बीच, मंगलवार को शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों ने लखनऊ में बेसिक शिक्षा निदेशालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने मांग की कि हाईकोर्ट के फैसले पर जल्द से जल्द अमल किया जाए और उन्हें न्याय दिलाया जाए। विरोध प्रदर्शन देर रात तक जारी रहा। वहीं, योगी सरकार ने दावा किया है कि हाईकोर्ट के आदेश का पालन किया जाएगा। सरकार ने आश्वासन दिया कि मेरिट लिस्ट तैयार करने का काम जल्द शुरू किया जाएगा, ताकि अभ्यर्थियों को न्याय मिल सके।